उत्तराखंड

सत्येंद्र चंद्र गुड़िया लॉ कॉलेज के रजिस्ट्रार सुधीर कुमार दुबे ने प्राप्त करी पीएचडी की उपाधि

काशीपुर। सत्येन्द्र चंद्र गुड़िया लॉ कॉलेज के रजिस्ट्रार सुधीर कुमार दूबे ने कुमाउं विश्वविद्यालय नैनीताल के डाक्टर जे एस बिष्ट ( प्रोफेसर विधि विभाग अल्मोड़ा) के निर्देशन में अपना शोधकार्य पूर्ण किया। उनका शोध शीर्षक  *”अभीरक्षीय यातना प्राण के अधिकार का घोर उल्लाघन: मानवाधिकारों के परिप्रेक्ष्य में एक आलोचनात्मक अध्ययन रहा।”* डाक्टर सुधीर कुमार दूबे वर्ष 2016 से संस्थान में कार्यरत है तब से अब तक अनवरत रूप से लॉ कॉलेज के उत्तरोत्तर विकास में अपना सतत योगदान दे रहे है। उनका कहना है कि विधि का विद्यार्थी केवल स्वयं के लिए कार्य नहीं करता वरन पूरे समाज को नई ऊर्जा के साथ उसकी सही दिशा का निर्धारण भी करता है विधि कभी भी स्थिर नहीं होती है वह विकसित समाज के साथ विकसित होती रहती है और परिवर्तित समाज के साथ  परिवर्तित भी होती रहती है जैसा कि आधुनिक समाज में जारता या अप्राकृतिक यौन अपराध अब वर्तमान में अपराध की श्रेणी में नहीं आते हैं व भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता भी पुलिस अधिकारों के निरंकुशता पर अंकुश लगाने का कार्य कर रही है उदाहरण के लिए सर्च वारंट के निष्पादन में ऑडियो, वीडियो, इलेक्ट्रॉनिक साधनों द्वारा दस्तावेज तैयार करके उसकी रिपोर्ट जिला मजिस्ट्रेट, पुलिस अधीक्षक, स्थानीय क्षेत्राधिकार रखने वाले मजिस्ट्रेट को तत्काल भेजा जाएगा जो पूर्व में नहीं था इसी प्रकार नई संहिता में कुछ गंभीर अपराधों को छोड़कर उसे व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए उसको हथकड़ी पहनाया जाना आवश्यक नहीं है जैसे प्रावधान  उपबंधित करके मानव गरिमा एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता को एक सभ्य समाज के रूप में स्वीकार्यकर्ता की गई है । जो विधि को समय के साथ परिवर्तित होने के रूप में को दर्शाता है।

डॉक्टर दुबे की इस बड़ी उपलब्धि पर संस्थान की चेयरमैन श्रीमती विमला गुड़िया, चंद्रावती तिवारी कन्या महाविद्यालय की उपप्राचार्य डॉक्टर दीपिका गुड़िया आत्रेय ,संस्थान के  एकेडमिक कौंसिल के सदस्य डाक्टर नीरज आत्रेय, निदेशक एकेडमिक (पीजी) , प्राचार्य (विधि),  निदेशक प्रशासन (विधि), प्राचार्य(यूजी) सहित समस्त फैकल्टी एवं स्टाफ ने हर्ष व्यक्त करते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है।काशीपुर। सत्येन्द्र चंद्र गुड़िया लॉ कॉलेज के रजिस्ट्रार सुधीर कुमार दूबे ने कुमाउं विश्वविद्यालय नैनीताल के डाक्टर जे एस बिष्ट ( प्रोफेसर विधि विभाग अल्मोड़ा) के निर्देशन में अपना शोधकार्य पूर्ण किया। उनका शोध शीर्षक *”अभीरक्षीय यातना प्राण के अधिकार का घोर उल्लाघन: मानवाधिकारों के परिप्रेक्ष्य में एक आलोचनात्मक अध्ययन रहा।”* डाक्टर सुधीर कुमार दूबे वर्ष 2016 से संस्थान में कार्यरत है तब से अब तक अनवरत रूप से लॉ कॉलेज के उत्तरोत्तर विकास में अपना सतत योगदान दे रहे है। उनका कहना है कि विधि का विद्यार्थी केवल स्वयं के लिए कार्य नहीं करता वरन पूरे समाज को नई ऊर्जा के साथ उसकी सही दिशा का निर्धारण भी करता है विधि कभी भी स्थिर नहीं होती है वह विकसित समाज के साथ विकसित होती रहती है और परिवर्तित समाज के साथ परिवर्तित भी होती रहती है जैसा कि आधुनिक समाज में जारता या अप्राकृतिक यौन अपराध अब वर्तमान में अपराध की श्रेणी में नहीं आते हैं व भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता भी पुलिस अधिकारों के निरंकुशता पर अंकुश लगाने का कार्य कर रही है उदाहरण के लिए सर्च वारंट के निष्पादन में ऑडियो, वीडियो, इलेक्ट्रॉनिक साधनों द्वारा दस्तावेज तैयार करके उसकी रिपोर्ट जिला मजिस्ट्रेट, पुलिस अधीक्षक, स्थानीय क्षेत्राधिकार रखने वाले मजिस्ट्रेट को तत्काल भेजा जाएगा जो पूर्व में नहीं था इसी प्रकार नई संहिता में कुछ गंभीर अपराधों को छोड़कर उसे व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए उसको हथकड़ी पहनाया जाना आवश्यक नहीं है जैसे प्रावधान उपबंधित करके मानव गरिमा एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता को एक सभ्य समाज के रूप में स्वीकार्यकर्ता की गई है । जो विधि को समय के साथ परिवर्तित होने के रूप में को दर्शाता है।
डॉक्टर दुबे की इस बड़ी उपलब्धि पर संस्थान की चेयरमैन श्रीमती विमला गुड़िया, चंद्रावती तिवारी कन्या महाविद्यालय की उपप्राचार्य डॉक्टर दीपिका गुड़िया आत्रेय ,संस्थान के एकेडमिक कौंसिल के सदस्य डाक्टर नीरज आत्रेय, निदेशक एकेडमिक (पीजी) , प्राचार्य (विधि), निदेशक प्रशासन (विधि), प्राचार्य(यूजी) सहित समस्त फैकल्टी एवं स्टाफ ने हर्ष व्यक्त करते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है।

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